हम जो भी करते हें क्यो करते हें
नही सोचते बस करते जाते हें
मिलें ओर मिले मिलता ही रहे
हम एसा क्यो करते हें?
 देनेसे मिलती हे सब दौलते
ओर ह्म देना ही भूल गये
ह्मजो करते हें क्यू करते हें?

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