ये मेरी तलाश का जुर्म है
या
वफा का कसूर है..!
..जो दिल के जितनी करीब है-
वो नजरों से 
उतनी ही दूर है..!!

भरा है मेरे दिल का दरख्ह्त
तेरी यादों के फूलो से हर वक़्त
आज भी महकते है फूल वैसे ही
जब ख़ाब मे आती है तेरी सूरत.........।

कहते है ये सभी,तुम वैसे हो अब नहीं
हम कैसे ये कहे
तुम्हें देखे हुई मुद्दत...............।

जिंदगी के किसी मोड पर मिलना तो है जरूर
क्योकि छुपना तेरी फितरत
और ढूंड्ना मेरी आदत.......................।

तू जिद्दी है माना,हमको ही होगा आना
तुझे हो न हो मेरी
मुझे तेरी जरूरत...........................।

दुनिया मे बचा लोगी तुम मुझ से गर नजर
तुम को वह मिलूगा
जब पाहुचोगी जन्नत.......................।

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