दिन की रोशनी ख्वाबों को बनाने मे गुजर गई,
रात नींद को मनाने मे गुजर गई।
जिस घर मे मेरे नाम की तखती भी नहीं,
सारी उमर उस घर को सजाने मे गुजर गई।

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