आयाम

आप जीवन को नष्ट नहीं कर सकते। आप बस उस मनुष्य के जीवन का अंत कर सकते हैं जो इस समय आपके सामने खड़ा है। लेकिन वह जारी रहेगा और तुम भी रहोगे। जो कुछ भी ईश्वरीय है, जो भी इस जगत का आधार है, वह अविनाशी, शाश्वत होगा। यह जगत खुद में अविनाशी नहीं है। यह आता और जाता है। लेकिन जो इस जगत का स्रोत है, वह अविनाशी है। तुम्हें जो भी करना है, वह इस शरीर के साथ ही करना है। अगर कोई आनंदपूर्वक रहता है तो उसके लिए इस शरीर के मायने हैं। अगर किसी ने यह फैसला कर लिया है कि वह इस शरीर से दूसरों को कष्ट ही देगा, वह इससे क्रोध और नफरत पैदा करेगा, हिंसा करेगा, तो उसके शरीर को मिटा देना ही सही है। लेकिन जो व्यक्ति तुम्हारे सामने खड़ा है, उसके भीतरी आयाम को तुम नष्ट नहीं कर सकते। वे हमेशा से रहे हैं, वे हमेशा रहेंगे। तुम्हारे मामले में भी यही सही है। उनके साथ भी यही बात सही है। तो इन बातों पर शोक मत करो।, उसके स्रोत को तुम नहीं मिटा सकते। तुम बस इनकी बाहरी सतह को मिटा सकते हो। आप अपने तार्किक दिमाग का प्रयोग करने लगेंगे,ये बातें कृष्ण के मुख से निकलती हैं, तो ये सत्य और खरी हैं, लेकिन अगर कोई और इन शब्दों को दुहराता है तो यह पूरी तरह से एक झूठ होगा।

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