अच्छा बनना
अच्छा बनना मनुष्य की स्वाभाविक इच्छा है। हम हर काम अच्छे से करना चाहते हैं और जब-तब उसमें पूर्णता की तलाश भी करते हैं। ऐसे लोग किसी एक चीज में पूर्णता पाना चाहते हैं, फिर जीवन के हर क्षेत्र में उसे पाने की कोशिश करते हैं। तो वह चाहता है कि काम में भी बेस्ट रहे। फिर वह अपने लुक्स और रिश्तों में वही परफेक्शन ढूंढने लग जाता है, और किसी भी स्तर पर नाकाम रहने से अंदर ही अंदर टूटने लग जाता है। मन पर बोझ पड़ने के साथ शारीरिक व्याधियां भी उसे दबोचने लगती हैं।कुछ लोग सिर्फ खुद परफेक्शनिस्ट होना चाहते हैं, जबकि कुछ आसपास के लोगों से भी वही उम्मीद करने लग जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो माता-पिता से लेकर तकरीबन पूरे समाज से ऐसी आशा करते हैं। ऐसे लोग ज्यादा समस्याग्रस्त होते हैं।शोध के अनुसार परफेक्शन पर बहुत ज्यादा जोर देने वाला व्यक्ति अनिद्रा, दिल की बीमारी और आंत संबंधी रोगों का शिकार होने के अलावा जल्द ही मृत्यु का ग्रास भी बन सकता है।इंसान को अपनी क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल करते हुए किसी भी क्षेत्र में उच्चतम स्तर पाने की कोशिश जरूर करनी चाहिएiसार्थकता तभी है जब इस कोशिश में उसे संतोष प्राप्त हो। सारा सुख-चैन गंवाकर हर क्षेत्र में पूर्णता तलाशने का तो कोई मतलब नहीं है।
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