ज़िंदगी अब इस मोड़ पर आ कर खड़ी हो गई है ,
कि तू दिख कर भीदिखती नहीं है किसी को ,
कि तू दिख कर भीदिखती नहीं है किसी को ,
इसीलिए कहती हूँ,उदास मत हो,
क्या सोच रही है खड़ी वहां ?अंतरात्मा आवाज़ दे रही है ,
भीतर बुला रही है--मैं अभी जिंदा हूँ
फिर भी देख कर कोई क्यों नहीं देख रहा है मुझे,या कोई देखना ही नही चाहता ज़िंदगी में क्या खोया,क्या पाया ?हरेक की यही कहानी है,सुनना मेरी ज़ुबानी है-यह संसार है यही इसकी माया!
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