तुम्हारे लिए..
ख्यालों में…
लफ़्ज़ों की एक कायनात,
सजाते है ..
हर रोज.
शायरों से रोमानी बाते..
औलिओं से रूहानी बाते..
आशिकों से जज्बाती बाते..
किताबों से ढूंड ढूंड कर..
करते है जेहन में जमाँ..
फिर भी..
तुम्हारे रूबरू होते ही..
खुल जाते है जैसे कई पिंजरे से..
सारे लफ्ज़ ..
पंछियों की तरह उड़ जाते है..
तुम…
एक ऐसा अहसास हो मेरे लिए..
जिसके लिए..
दुनिया के सारे लफ्ज़
कम पड़ जाते है!Ramesh Shimpee
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