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Showing posts from July, 2015
एक कंजूस आदमी  अपने बच्चों से- जो आज शाम का खाना नहीं खाएगा, पापा उसे 2 रुपए देंगे।  और बच्चे बिना खाना खाए सो गए... सुबह:  जो बच्चा पापा को 2 रुपए देगा, पापा उसको खाना देंगे। पत्नियां शादी के बाद  कैसे बदलती हैं, जरा गौर कीजिए- पहले साल:  मैंने कहा जी खाना खा लीजिए, आपने काफी देर से कुछ खाया नहीं है... दूसरे साल:  जी खाना तैयार है, लगा दूं? तीसरे साल:  खाना बन चुका है, जब खाना हो तब बता देना! चौथे साल:  खाना बनाकर रख दिया है। मैं बाजार जा रही हूं। खुद ही परोसकर खा लेना। पांचवें  साल:  मैं कह देती हूं, आज मुझसे खाना नहीं बनेगा! होटेल से मांगवा लो! छठे साल:  जब देखो खाना खाना खाना... अभी सुबह ही तो खाया था! 
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जा रहे हो होके रुखसत, दिल से कैसे जाओगे. साँस लोगे, आहें भरोगे, मुझको खुद में पाओगे   कल तलक होता था जो भी, तुम सुनाते थे मुझे, अब अगर कुछ दिल में होगा, कैसे किसको बताओगे   जितना चाहा मैने तुमको, क्या कोई चाहेगा चेहरा बयां होने ना दे, आँखे भी कुछ कह ने ना दे,
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STANDING ALONE!

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 Be simple and listen to your profound being. Act freely and with serenity
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